मर्यादा पुरुषोत्तम राम विश्व-नायक है उन्हें किसी देश की बॉर्डर पर रोक नहीं सकते आप

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मर्यादा पुरुषोत्तम राम: केंद्रीय संस्कृति विभाग, अयोध्या शोध संस्थान और बंगाल रामायण शोध समूह द्वारा बीते दिनों ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया था। इस सेमिनार में कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ता और कलाकार शामिल हुए थे जिसका शीर्षक था “राम एंड रामकथा बियॉन्ड दी बॉर्डर“। कई सारे वक्ताओं ने कहां की आज के जीवन की मौलिक वैदिक अवधारणा रामायण महा ग्रंथ से बहुत प्रभावित हैं। जिस तरह से “हरि अनंत हरि कथा अनंता” कहा गया है, उसी तरह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम प्रभु को किसी भी सीमा में बांधा नहीं जा सकता। वह तो जगत के महानायक है।

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अनीता बोस जो की संयोजिका थी उन्होंने वेबीनार में कहा कि रामायण भारत, तिब्बत, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और इंडोनेशिया ही नहीं संपूर्ण विश्व में प्रचलित है। यहां तक कि अमेरिका में भी कई लोग रामायण का अनुसरण करते हैं। विभिन्न माध्यमों के द्वारा रामायण का प्रचार प्रसार किया जाता है जिसमें फिल्म और ग्राफिक शामिल है। इन माध्यमों के द्वारा राम कथाओं का विभिन्न दृश्य प्रस्तुतियों के द्वारा प्रचार प्रसार तेजी से हो रहा है।

बंगाल में भी प्रभु श्रीराम की कथाएं प्रचलित है

एशियाटिक सोसाइटी म्यूजियम जो कि कोलकाता में स्थित है वहां के सीनियर केटालॉगर डॉक्टर जगतपति सरकार ने वेबिनार में बताया कि बंगाल में भी प्रभु श्रीराम और उनकी कथाएं बहुत प्रचलित है। उन्होंने यह भी बताया कि बंगाल में कई ऐसे पुरातत्व के लेख हैं और ऐसी कई घटनाएं हैं जो प्रभु श्रीराम के बारे में विस्तार से बताती हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में स्थित पुरातत्व काल के शिलालेख यह स्पष्ट रूप से बताते हैं कि प्रभु श्री राम की क्या महिमा है।

वेबीनार में उपस्थित इंडोनेशिया के कलाकार कोकोरदा पुत्र ने बाली में उपस्थित प्रभुश्री राम और परम्परों की जानकारी उपलब्ध कराई। श्रीलंका से आए शोधकर्ता महेश सेनाधीरा पथिराज ने बताया कि कैसे रावण को अद्भुत ज्ञान प्राप्त था और उन्हें औषधि विज्ञान, व्यावहारिक जीवन एवं कला में महारत हासिल थी। बीएचयू विश्वविद्यालय से उपस्थित प्रोफेसर सुकुमार चट्टोपाध्याय ने “रामायण में वैदिक अवधारणाओं का प्रभाव” विषय पर अपनी बात रखी और बताया कि रामायण मौलिक वैदिक अवधारणाओं से परिपूर्ण है। प्रोफेसर सुकुमार चट्टोपाध्याय बीएचयू में संस्कृत विभाग के एसोसिएट।

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विश्व में सबसे लोकप्रिय रामकथा ही है

संपूर्ण विश्व में वैदिक परंपरा के प्रचार प्रसार में रामायण का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इस आधार पर यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि विश्व में सबसे लोकप्रिय रामकथा ही है। वेबिनार में उपस्थित अमरनाथ दुबे जो कि विदेश मंत्रालय में कोर्स कोऑर्डिनेटर के पद पर है, उन्होंने बताया कि तिब्बत में रामायण का क्या प्रभाव है। इन्हीं के साथ एक ऑनलाइन ब्लॉगर धरणी पुष्पराजन भी उपस्थित थे जिन्होंने प्राचीन भारतीय जनजातियों पर अपनी जानकारी साझा की। ध्वनि पुष्प राजन एक ऑस्ट्रेलियन ब्लॉगर है जो वैश्विक जानकारियां साझा करते हैं। माइकल स्टर्नफील्ड जो कि एक अमेरिकन शोधकर्ता है उन्होंने रामायण परंपरा और कोलंबो विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वक्ता डॉ कुमुदिनी मधुगामी ने श्रीलंका की रामायण रंगमंच परंपरा के बारे में उपयोगी जानकारी साझा की।

जर्मनी से वेबीनार अटेंड कर रही नृत्यांगना डॉ. राज्यश्री रमेश ने बताया कि कैसे रामायण में नृत्य परंपरा का अपना एक अलग महत्व है। बाला शंकुरत्रि जो कि एक वरिष्ठ अभिनेता है उन्होंने भी इस वेबीनार में भाग लिया था। वेबिनार का संपूर्ण संचालन और आयोजन अयोध्या शोध संस्था के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह और जगमोहन रावत के सहयोग से संपूर्ण हुआ।


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