मां-बाप सपना था तरुण गोगोई बने प्रधानमंत्री, खराब सेहत भी नहीं तोड़ पाई हौसला

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तरुण गोगोई आसाम की एक जानी मानी राजनीतिक शख्सियत थे। तरुण गोगोई के माता-पिता होने बचपन में प्यार से पुनाकोन बुलाते थे। तरुण गोगोई का आज सोमवार श्याम लंबे समय से बीमार रहते हुए स्वर्गवास हो गया। तरुण गोगोई का जन्म असम के जोरहाट स्थित रंगाजन टी स्टेट में निवास करने वाले डॉक्टर कमलेश्वर गोगोई तथा उषा गोगोई के घर 11 अक्टूबर 1934 के दिन हुआ था। तरुण गोगोई जब छोटे थे तब सभी उन्हें प्यार से पुनाकोन बुलाते थे। तरुण गोगोई का जन्म रंगाजन चाय बागान में माता पिता और अपने भाई बहनों के साथ बिता तथा चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूरों के बीच वह बड़े हुए। 1934 में किसी ने यह नहीं सोचा था कि तरुण गोगोई वह बच्चा है जो आगे चलकर असम पर मुख्यमंत्री बन कर शासन करेगा। पिछले कई समय से तरुण गोगोई बीमार चल रहे थे और 86 वर्ष की उम्र में आज सोमवार के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली।

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नेहरू से हुए थे प्रभावित

हर मां-बाप की तरह तरुण गोगोई के माता-पिता का यह सपना था कि वह बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बन कर उनका और प्रदेश का नाम रोशन करें। तरुण गोगोई की रुचि बचपन से ही राजनीति में रही थी। राजनीति में जाने की रूचि इतनी अधिक थी कि उन्होंने अपनी है इच्छा स्कूल के 1 टीचर के सामने रखी थी और कहा था कि आप देखना मैं 1 दिन इस देश का प्रधानमंत्री बनूंगा। तरुण गोगोई उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से काफी प्रभावित थे। तरुण गोगोई की राजनीति में दिलचस्पी इतनी अधिक थी कि राजनीतिक गतिविधियों के कारण वह 10वीं कक्षा में फेल तक हो गए थे। तरुण गोगोई ने 1963 में भारतीय नेशनल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और वह हमेशा से ही कांग्रेस पार्टी के सभी उच्च अधिकारियों के प्रति निष्ठावान रहे जिनमें इंदिरा गांधी राजीव गांधी फिर सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी रहे।

1971 से प्रारम्भ हुआ राजनितिक सफर

तरुण गोगोई के राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1971 में हुई जब वह जोरहाट लोकसभा सीट से नेता चुने गए थे। 14 सालों तक लगातार वह इस सीट पर सांसद रहे फिर वह 1991 से 1996 तक तथा इसके बाद 1998 से 2000 तक कलिया बोर लोकसभा सीट से सांसद रहे।

15 सालों तक रहे मुख्यमंत्री

तरुण गोगोई का राजनीतिक करियर बहुत लंबा रहा है। 2001 के विधानसभा चुनाव में तीता बार सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजय प्राप्त की। इस जीत का प्रभाव इतना अधिक था कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें आसाम के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे दी। असम की जनता तरुण गोगोई से बहुत प्रभावित रही जिसके चलते 2006 और 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने तरुण गोगोई के नेतृत्व में रिकॉर्ड मतों से जीत प्राप्त की जिसके चलते तरुण गोगोई सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना पाए। उनके मुख्यमंत्री रहने का यह कार्यकाल 18 मई 2001 से प्रारंभ हुआ और 24 मई 2016 को समाप्त हुआ।

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राजनीति में सक्रिय रहने के कारण कई बार तरुण गोगोई के सामने स्वास्थ्य की समस्याएं आई लेकिन सेहत कभी उन्हें पीछे नहीं धकेल पाई। तरुण गोगोई का पहला कार्यकाल तो बहुत बढ़िया रहा परंतु दूसरे कार्यकाल में थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव उन्होंने देखें जिसके बाद उनके तीसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य ने उन्हें काफी परेशान रखा। तरुण गोगोई के तीन बार दिल के ऑपरेशन हुए और 2011 के विधानसभा चुनाव के पहले ही उन्हें पेसमेकर बदलवाने के लिए ऑपरेशन करवाना पड़ा।

तरुण गोगोई की राजनीति के प्रति निष्ठा इतनी अधिक थी कि वह बहुत जल्दी स्वस्थ हुए और तुरंत चुनाव प्रचार में लग गए। तरुण गोगोई ने 2016 के अपने विधानसभा चुनाव को पूरे जोश के साथ लड़ा और कई रैलियां संबोधित करें। अपने पूरे चुनाव प्रचार में वह प्रमुख मोर्चे पर रहे और पूरे जोश के साथ प्रचार किया। उनके चुनाव प्रचार को देखते हुए यह कभी नहीं लगा कि उनकी उम्र और उनका स्वास्थ्य उन्हें रोक रहा है।

आप सभी जानते हैं असम एक बहुत छोटा राज्य है और एक समय यह दिवाला होने की कगार पर था। तरुण गोगोई वह शख्सियत हैं जो असम को दिवाला होने से बचा पाए और फिर से असम को तरक्की की ऊंचाइयों पर ले कर गए। तरुण गोगोई का प्रभाव इतना अधिक था कि दुर्दांत उग्र-वादी संगठन उल्फा जिसके नाम से पूरा असम का पता था वह संगठन सरकार से सुलह समझौते के लिए तैयार हो पाया।


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