अजित पवार के पीछे है शरद पवार का हाथ, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दी सफाई

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एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि अजित पवार के साथ जाने और उप मुख्यमंत्री बनने के निर्णय के पीछे वह नहीं थे। एक बार फिर दावा किया है कि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। उन्होंने महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड में पत्रकारों से कहा कि अजित पवार के साथ संपर्क में नहीं है। जिन्होंने रांकापा के खिलाफ बगावत की है। साथ ही यह भी कहा कि अजित पवार की पार्टी को बर्खास्त करने के सवाल पर निर्णय पार्टी के स्तर पर लिया जाएगा। कराड में शरद पवार से जब पूछा गया कि ऐसा कहा जा रहा है कि अजीत पवार के इस कदम के पीछे आप का हाथ है। इस पर उन्होंने जवाब दिया, “मैं अब शिवसेना के साथ से बिल्कुल आगे निकल आया हूं। अगर मेरा ऐसा कोई इरादा होता तो मैं अपने नेताओं को जरूर भरोसे में लेता। मैंने शिवसेना को वादा किया था, इसलिए उनके साथ कुछ भी बुरा नहीं कर सकता। हमें 5 साल तक तीनों पार्टी के साथ सरकार चलानी थी। हम जल्दबाजी में काम नहीं कर सकते थे।”

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दावा पेश करने में क्यों हुई देरी शरद पवार ने बताया
12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने कई दौर की बैठकें की। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सरकार बनाने से इनकार किए जाने के तुरंत बाद शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास पहुंची थी। हालांकि 2 हफ्ते बाद भी तीनों पार्टियां सरकार बनाने का दावा नहीं पेश कर सकी। शरद पवार ने कहा, “मुख्यमंत्री के पद पर बंटवारे को लेकर तीनों दलों की भी सहमति नहीं बन पा रही थी। सीएम पद पर 50-50 फार्मूले के तहत साझेदारी की मांग की थी और इस बात पर तीनों दलों के बीच कुछ मतभेद थे। इसी वजह से तीनों दलों को अंतिम निर्णय लेने में विलंब हुआ।”

अजित पवार ने ऐसे बदले समीकरण
दरअसल खबर है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को समर्थन देने के लिए जिस कागज पर एनसीपी विधायकों के दस्तखत कराए गए थे वहीं कागज अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस को दे दिया। सूत्रों की माने तो एनसीपी की बैठक में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के लिए जिस पेपर पर पार्टी के विधायकों से दस्तखत कराए गए थे उस पेपर पर मुख्यमंत्री का नाम नहीं था। इसकी वजह यह थी कि शिवसेना की तरफ से उस समय तक सीएम पद के लिए कोई नाम तय नहीं हुआ था। शुक्रवार देर रात तक उद्धव ठाकरे सीएम पद के लिए अपने नाम को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं थे। इसी बात का फायदा अजित पवार ने उठाया और विधायकों के समर्थन वाला पेपर देवेंद्र फडणवीस के समर्थन में राज्यपाल को सौंप दिया।

शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी ने पेश किया सरकार का दावा
सोमवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने राजभवन जाकर विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी। इस दौरान राजभवन के राज्यपाल मौजूद नहीं थे। तीनों दलों के नेताओं ने कहा कि उनके पास कुल 154 विधायकों का समर्थन है। एनसीपी ने भी दावा किया है कि 54 में से 53 विधायकों का समर्थन उनके पास है और ऐसे में भाजपा का सरकार बनाना अलोकतांत्रिक है। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि,

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“अजित पवार ने भाजपा के साथ जाकर गलती की है और डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा देकर वापस पार्टी में आना चाहिए।”

बता दें, कि बीते शनिवार को देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने प्रदेश के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली। राज्य में रांकापा, कांग्रेस और शिवसेना गठन के फैसले पर पवार ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे। राज्य में राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना की सरकार बनने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि (गठबंधन) महाराष्ट्र में सरकार बनाएगा।”

राकांपा प्रमुख ने कहा, “मैंने अपने 50 साल के राजनीतिक कैरियर में कई घटनाएं देखी है। कठिनाईयां आती हैं लेकिन अस्थाई होती और मेरा अनुभव है कि राज्य के लोग मजबूती से इस स्थिति का सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक उनके पास युवकों का समर्थन है उन्हें किसी चीज की चिंता नहीं है।” गौरतलब है कि राकांपा नेता अजित पवार अप्रैल 2013 में राज्य में सूखे पर दिए अपने कुछ बयानों के मद्देनजर चौहान के स्मारक पर 1 दिन के अनशन पर बैठे थे। जो अभी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर महाराष्ट्र में भाजपा सरकार को समर्थन कर रहे हैं।


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