यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी करना एक व्यक्ति को महंगा पड़ गया। इसके चलते इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे सशर्त जमानत देते हुए 2 साल तक सोशल मीडिया उपयोग ना करने की सजा सुनाई है।
इस व्यक्ति पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कहते हुए कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल किया है। आरोपी का नाम अखिलानंद है जिसके खिलाफ देवरिया के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया गया कि इस व्यक्ति ने अपना स्टेटस गलत दर्शाते हुए लाभ पाने की कोशिश की है।
वही आरोपी की ओर से याचिका भी लगाई गई है और याचिका में वकील का कहना है कि उनका मुवक्किल 12 मई 2020 से जेल में है और पुलिस द्वारा उसे झूठे प्रकरण में फंसाया जा रहा है।
सशर्त दी कोर्ट ने जमानत
आरोपी को जमानत देते हुए अदालत का कहना है कि-‘‘तथ्यों, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और दाताराम बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर विचार करने के उपरांत उक्त अपराध में संलिप्त आरोपी को रिहा किया जाता है, बशर्ते वह संबंधित अदालत की संतुष्टि के मुताबिक एक निजी मुचलका भरे और दो जमानतदार दे।’’
जमानत देने के साथ ही अदालत ने आरोपी अखिलानंद के आगे एक शर्त भी रखी है जिसके तहत याचिकाकर्ता 2 साल तक या निचली अदालत में केस खत्म नहीं हो जाने तक सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर सकता है।
अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अभियोजन के ऊपर किसी भी तरह का दबाव नहीं बना सकता और ना ही साक्ष्यों को खत्म कर सकता है नहीं तो इस पर कार्रवाई की जाएगी। मुकदमे के जो गवाह है उन पर याचिकाकर्ता द्वारा किसी भी तरह का दबाव बनाया गया तो कोर्ट इस पर सख्त कदम उठाएगी।