महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के एक कर्मचारी ने वित्तीय संकट के चलते अपने निवास पर जीवन का अंत कर लिया। कर्मचारी द्वारा अपने निवास पर ही फां-सी लगाई गई और इस घटना का पता सोमवार को सुबह चल पाया। महाराष्ट्र सरकार के जलगांव डिपो में कार्यरत मनोज अनिल चौधरी जिनकी उम्र 30 वर्ष थी उन्होंने एक नोट भी लिखा, जिसमें उन्होंने कारण बताया कि विभाग में कम वेतन और कई अनियमितताओं के चलते उन्हें यह कठोर कदम उठाना पड़ा।
उन्होंने यह भी लिखा कि MSRTC और महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार के कामकाज के तरीके उनके द्वारा उठाए गए इस कठोर कदम के जिम्मेदार हैं। मनोज चौधरी ने लिखा की इस कठोर कदम से उनके परिवार का कोई लेना देना नहीं है और उन्हें इस कदम के लिए परेशान न किया जाए। MSRTC संगठन को मेरे पीएफ (provident fund) और एलआईसी के पैसे जल्द से जल्द मेरे परिवार को प्राप्त हो जाए ऐसे कदम उठाते हुए मेरे परिवार का सहयोग करना चाहिए, ऐसा मेरा आग्रह है।
घटना की जानकारी प्राप्त होते ही एमआईडीसी (MIDC) पुलिस तुरंत मनोज के घर पहुंची और वहां से उनके शरीर को परीक्षण के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। घटना की जानकारी मिलते ही एसटी (ST) यूनियन के कई बड़े पदाधिकारी आनन-फानन में जिला अस्पताल पहुंचे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के एसटी कर्मचारी 2 महीनों से अपने बकाया भुगतान जो कि अक्टूबर माह के बकाया वेतन और महंगाई भत्ते की मांग को लेकर आंदो-लनरत है। लॉकडाउन अवधि के दौरान एमएसआरटीसी (MSRTC) के सभी कर्मचारी बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में कार्यरत थे।
एमएसआरटीसी ने राज्य सरकार से मांगे थे 3600 करोड़
जानकारी मिली है कि कर्मचारियों में सरकार को लेकर और विभाग को लेकर बहुत नाराजगी है, क्योंकि कार्यकर्ताओं को किए गए कार्य के लिए समय पर भुगतान नहीं मिल रहा था। जब इस घटना को लेकर एमएसआरटीसी (MSRTC) के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर को महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने कर्मचारियों के वेतन और विभाग के अन्य जरूरी खर्चों के लिए महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को आवेदन दिया था जिसमें उन्होंने 3600 करोड़ रुपए की मांग की थी। एमएसआरटीसी को प्रत्येक माह 292 करोड़ रुपए की जरूरत होती है, जिससे कि वह वेतन और विभाग के अन्य जरूरी खर्चों की पूर्ति कर सकें। लेकिन यह राशि राज्य सरकार से प्राप्त नहीं हो पा रही है।